वो हर आती लहर को देख के भाग जाना,
और जाती लहर में महसूस करना रेत का सरकना,
फिर उसी रेत पर ख़्वाबो के, परियों के टीलों को घड़ना,
और अगली लहर को समर्पित उन टीलों को करना,
और जाती लहर में महसूस करना रेत का सरकना,
फिर उसी रेत पर ख़्वाबो के, परियों के टीलों को घड़ना,
और अगली लहर को समर्पित उन टीलों को करना,
अपने ही कदमों के चिन्हों पर चलना,
भीगे किनारों पर सीपियों को इकट्ठा करना,
वो किनारों पर किरणों का छन के बिखरना,
वो बढ़ती घटती लहरों संग दिल का धड़कना,
वो बचपन का दौर याद आता है मुझको,
ये सब देख के, अपने बच्चों की हरकतों में,
आओ चल-चले हम उसी दौर में,
जहां बस ऐसा ही एक समाँ हो,
ख़ुशियों का, ख़्वाबों का, खूबसूरत जहां हो,
ना कल की फ़िकर हो, ना कल का ज़िकर हो,
अभी में, आज में, जीने की बस ग़रज़ हो,
आओ चल चले हम उसी दौर में फिर ।।।




Then comes Carom, where you have to strike the wooden coins to any of the four pocket holes using a striker. Though kids are a little young for the perfect game but still it instills some thought process in their tiny brains on which coin to aim for, which pocket hole to target and how to strike and at which angle for hitting the correct shot. And then the fun of finally counting out your coins you have pocketed.