आज फिर एक सितारा हमारे बीच से उठ कर आसमान का हो गया,
वो तो जगमगा उठा,
अपना बहुत कुछ खो गया,
हाँ, प्रकाश है उसका यहाँ,
और ऊपर से भी छलक रहा,
कह रहा देखो इसे,
इसी में मिलेगा रास्ता नया, हौसला बढ़ा,
चातक की तरह मैं आसमान को देखता रहा,
कि बरस जाए शायद, तो समेट लूँ तुझे जी भर के,
इस पल के लिए , उम्र भर के लिये |||